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सोमवार, मई 19, 2014

Pyar Ki Kahani

अगले दिन मेरी नींद बहुत जल्दी खुल गयी. उठी तो देखा की Sanjana अभी भी सो रही है. मैं बाहर आई तो देखा मौसा जी सुबह सुबह तैयार हो कर जा रहे थे. मैने पूछा – मौसा जी, इतनी सुबह सुबह कहाँ जा रहें हैं. मौसा जी बोले – हॉस्पिटल से फोन आया है की Akash के पोलीस स्टेट्मेंट वग़ैरा लेने के लिए पोलीस स्टेशन से ऑफीसर आए हैं तो उसके पेरेंट्स ने बुलाया है. मेरे मुँह से अचानक निकल पड़ा – Akash से मिलने तो मैं भी जाऊंगी. मौसा जी बोले थोड़ी देर में मैं जीप वापस भेज दूँगा तुम आ जाना अभी तुम्हें तैयार होने में टाइम लगेगा, मुझे देर हो जाएगी.
मैने फटाफट जाकर Sanjana को उठाया. रात को Akash को लेकर हुई सारी शरारत मेरे दिमाग़ से एकदम भूल गयी थी. Sanjana के उठते ही मैं बोली – चल उठ, जल्दी तैयार हो, Akash से मिलने जाना नहीं है क्या? Sanjana उठी और बहुत देर तक मेरे चेहरे की और देखती रही, बोली – तो तू जा ना, मैं क्या करूँगी. दिल तो तेरा आ रहा है ना उस पर. बस ये कहते ही मुझे रात की बात याद आ गयी. मैने तकिया उठाया और उसके सिर पे दे मारा. बोली – शैतान, तेरी ज़ुबान बहुत चलने लगी है.
Sanjana बोली- मेरी ज़ुबान की छोड़, अपने दिल की फ़िक्र कर. फिर वो मेरी और शरारत से देखने लगी. अचानक हम दोनों के चेहरे पर एक साथ हँसी आ गयी और हम हँसने लगे और फिर Sanjana मेरे गले से लग गयी. बोली – अनिता, Akash वैसे है तो वाकई में हॅंडसम. और मैं फिर शर्मा गयी.
खैर, हम बाहर आ कर फ्रेश वग़ैरा हो कर ब्रेकफ़स्ट करने लगे. तभी बाहर हॉर्न बजा – लगता है जीप आ गयी. पापा ने भिजवाई होगी. हम बाहर आए और जीप में बैठ गये. ड्राइवर ने जीप हॉस्पिटल की और दौड़ा दी. 10 मिनिट में ही हम हॉस्पिटल पहुँच गये. उतरते ही मैं तेज कदमों से सीधा Akash के कमरे की और चल पड़ी. Sanjana रुक रुक ही करती रह गयी और मैं Akash के कमरे में घुस गयी.

अंदर पहुँच कर देखा तो Akash तकिये के सहारे बैठा हुआ था. मैने उसके पास जाकर पूछा – कैसे हो? Akash के चेहरे पे हल्की सी मुस्कुराहट आई और वो बड़ी धीमी आवाज़ में बोला – आइ एम ओके. लेकिन साफ दिख रहा था कि इतना बोलने में भी उसको बहुत तकलीफ़ हो रही थी. मैं उसके पास ही बैठ गयी. Sanjana भी पास में ही कुर्सी पर बैठ गयी.
तभी उसके पापा अंदर आ गये. शायद पोलीस वालों को छोड़ने गये थे. अंदर आकर जैसे ही मुझे देखा तो मैने कहा अंकल – नमस्ते. उन्होने आ कर बड़े स्नेह से मेरे सर पर हाथ रख कहा – नमस्ते बेटा. तुम कैसी हो. मैने कहा – ठीक हूँ अंकल. Akash की तबीयत कैसी है. बोले – बेटा, वैसे तो ख़तरे की कोई बता नहीं है पर डॉक्टर ने कहा है 10-12 दिन से पहले छुट्टी नहीं मिलेगी. काफ़ी चोट आई है. अंदरूनी चोटें भी हैं.
ये सुनकर जहाँ मुझे दुख होना चाहिए था वहीं अंदर से जैसे पता नहीं कौन सी खुशी महसूस हुई. जैसे की अगले दस-बारह दिनों तक Akash से मिल पाने का मौका कोई बहुत खुशी की बात हो.
Sanjana उठी और बाहर की और चली गयी. तभी अंकल के मोबाइल पर भी कोई फोन आया तो वो भी बाहर की और चले गये. उनके बाहर जाते ही Akash ने मेरा हाथ अपने हाथ में ले कर कहा – थैंक यू. मेरे तो जैसे सारे शरीर में बिजली दौड़ गयी हो, ऐसा लगा. उसका हाथ बहुत हल्के से मेरे हाथ पर था. मैने दूसरा हाथ से उसका हाथ थम कर कहा – थॅंक्स किस बात के लिए? Akash बोला – तुम नहीं होती तो… मैं अचानक अपने हाथ को उस के मुँह पर रख कर बोली – ऐसा नहीं कहते.
फिर बहुत देर तक हम दोनों ऐसे ही हाथों में हाथ रखे बैठे रहे. अचानक मुझे किसी के पैरों की आहट सुनाई दी तो मेरा ध्यान दरवाजे की और गया. देखा तो Sanjana खड़ी हुई मुस्कुरा रही थी. मैने झट से अपना हाथ वापस खींच लिया. मैं Akash से बोली – अब तुम आराम करो, मैं चलती हूँ.
Akash बोला – फिर आओगी ना? मैने कहा, ज़रूर. उसके चेहरे पे बड़ी स्वीट सी मुस्कान फैल गयी. मैने फिर बाइ बाइ किया और बाहर आ गयी. बाहर आकर मैने Sanjana के कान पकड़े और बोली – बदतमीज़, बहुत खी खी कर हंस रही थी, क्या बात है? Sanjana बोली – लव स्टोरी सही जा रही है अनिता, एकदम सही.
फिर हम दोनों हँसने लगे. हंसते हंसते हम जीप के पास आ गये और ड्राइवर को बोला, चलो, घर चलो.
शाम को हम बाजार घूमने गये. हमने कुछ कपड़े खरीदे और ऐसे ही टाइम पास करने के लिए एक से दूसरी दुकान में जाते रहे. मेरी नज़र ऐसे ही एक किताब की दुकान पर पड़ी तो मेरे दिमाग़ में एक ख़याल आया. मैं अंदर गयी और एक गेट वेल सून कार्ड लिया जिसपे एक टेडी बीयर बना हुआ था जिसकी बेली पे लिखा था – आइ लव यू.
उसे लेकर मैने अपने बैग में छुपा लिया. और बाहर आ गयी. Sanjana बोली – कहाँ गयी थी अचानक? मैं तुझे ढूँढने ही वाली थी. मैने कहा ऐसे ही एक पेन खरीदने गयी थी पर कोई अच्छा पेन नहीं मिला. फिर हम घर वापस आ गये.

Pyar Ki Kahaniya

Tuमेरा नाम Rajesh है. ये मेरी ये सची प्रेम कहानी है. में दिल्ली कॉलेज में पड़ता हु. ये बात उन दिनों की है जब मेरी मुलाकात एक दोस्त की शादी में एक लड़की से हुई थी. उसका नाम Ragini था। वो बहुत ही खुबसूरत थी। और अपने फाइनल इयर में थी। जब शादी में वरमाला की रस्म चल रही थी तभी में उसे और वो मुझे बार बार देख रहे थे.
जुटे चुराई की रस्म में तो वो हमसे बहुत छेड्कानी और हम उससे बहुत मजाक कर रहे थे. पुरे 5000 रुपए में बात तय हुई थी। शादी हो गयी और वो अपने घर चली गयी। में उसके बारे में बार बार सोच रहा था. जब मेरा दोस्त हनीमून से वापस आया तो मेने उसकी बारे में पूछा। उसने बताया की उसका नाम Ragini है और वो उसकी पत्नी की बहुत घहरी दोस्त है।
मेरे दोस्त की पत्नी अपने मइके चली गयी। फिर हम उसे लेने गए, में Ragini को वह देख कर चौक गया। मेरे दिल से निकला वायो वायो मज़ा आ गया। मेरे चहरे पर एक स्माइल सी आ गयी। मेने उससे बात की और पुछा उसके बारे में। वो भी पढ रही थी कॉलेज में। फिर हम दोनों में मिलने का सिलसिला चला। में उससे दिल ही दिल में प्यार करने लगा ओर फिर एक दिन उससे शादी की बात कर दि. वो भी मुझे चाहती थी और शादी करने के लिए तयार हो गयी थी।

मेने अपनी शादी की बात आगे बड़ाने के लिए अपने दोस्त की वाइफ से बोला तो वो मान गए और उसके पापा से बात चलने के लिए मान गये. मेरी कास्ट छोटी थी और वो ब्राहमण थे , बात तो सुरु की बार उसके डैडी और भियो ने मन कर दिया। हम दोनों कई बार मिले और भाग जाने का फेसला भी किया और एक दिन दोनों घर से निकल गये और साउथ में रहने लगे. हमारी खबर किसी को नहीं थी मेरे दोस्त के सिवाए। चारो तरफ उसके भाई मेरी तलाश में लग गए. 
मेरी पुलिस में कंप्लेंट भी करवा दी. मुझे डरने की कोई जरुरत नहीं थी चुकी हम दोनों अठरा साल से ऊपर के थे. २ महीने हम दोनों वह रहे और एक दिन उसका भाई मेरे यहाँ आ गया। उसने हम दोनों को धमकाया और मुझे जान से मरने की धमकी भी दि. मेंने सोचा की वो कुछ नहीं करेगा पर कुछ दिनों बात हम दोनों को रस्ते में ही कुछ आदिमियो ने घेर लिया और मेरी पत्नी को मार दिया में वह से भगा पर पर भाग न सका और मुझे उन्होंने बहुत मरा. 
मेरी सास चल रही थी में भगवन की किरिपा से बच गया था। मेने उनके खिलाफ कंप्लेंट करी ठाणे में। उन कर केस चला और उसके भाई समेत 6 लोगो को उम्र कद की सजा सुना दी कोर्ट ने. मेरी जिंदगी अब बर्बाद हो गयी है चुकी में अपनी टांग खो बेठा हु. रोज रो रो कर अपनी ज़िन्दगी बिताता हु। अब सिर्फ में और मेरी तन्हैया रह गयी है। ये थी मेरी सच्ची प्रेम कहानी

गुरुवार, जनवरी 09, 2014

प्यार की दिवानगी

कभी-कभी ज़िन्दगी में कुछ लोग अचानक ही मिलते हैं! वो, शायद कुछ दूर ही साथ चलते हैं, और फिर जुदा हो जाते है! लेकिन इस बीच उन लोगो के बीच में जो बातें, घटनाये होती है, शायद वो एक याद बन के ही रह जाती हैं! ऐसा ही एक किस्सा मेरे साथ हुआ।

मैं ऑफिस में अपना काम कर रहा था कि, मेरे मोबाइल पर एक कॉल आया, मैंने हेल्लो कहा, तो उस तरफ से एक महिला की बहुत ही मीठी आवाज ने मुझे, एक बार उससे बात करने पर मजबूर कर दिया, जानता था कि, वो एक रॉंग नंबर था तो, मैंने रॉंग नंबर कह कर फ़ोन रख दिया! लेकिन मेरे कानो में उस महिला की आवाज़ रह-रह कर सुनायी दे रही थी।

जब मुझसे रहा नहीं गया, तो मैंने उसे लैंडलाइन नंबर पर वापस फ़ोन किया, तो उसी महिला ने फ़ोन उठाया, मैंने उससे कहा कि, आपसे मेरी अभी कुछ मिनट्स पहले बात हुई ही थी! मैं कुछ कहना चाहता हूँ, उसने कहा बोलिये, मैंने बड़े ही विनम्रता से कहा कि, आप की आवाज़ बहुत मीठी है, फिर मैंने उसकी आवाज़ से उसके बारे में बताना शुरू किया, जो बिलकुल ठीक था! अब उस महिला का इंटरेस्ट और बढ़ने लगा कि, मैं उसके बारे यह सब कैसे जानता हूँ? उसने पूछा कि, अगर मैं उससे पहले, कहीं मिला हूँ? मैंने कहा "नहीं"।

मैं जान चूका था कि, वो महिला किसी ऑफिस में काम करती है, अब हम दोनों एक फोनर फ्रेंड्स की तरह बात करने लगे. उसने अपना मोबाइल नंबर भी दे दिया थ, लेकिन मैं फ़ोन न करू, जब-तक वो ना कहे! क्यूंकि वो एक शादीशुदा 38 साल की 2 लड़कियों (12 साल और 16 साल) की माँ थी।

अभी तक हम दोनों ने एक दुसरे को फोटो में भी नहीं देखा था! तो, हमने मिलने का प्लान किया! अपने ऑफिस के ही पास उसने मुझे एक दिन कॉफ़ी पीने के लिये बुलाया! देखने में वो महिला सुन्दर थी, उसके शरीर की बनावट आकर्षित करने वाली थी, जो उसने कर दिया था! हम दोनों करीब 30 मिनट्स बैथे, और फिर वो अपने ऑफिस चली गयी, लेकिन मेरे दिल में एक छाप छोड़ गयी।

हम दोनों अब, धीरे-धीरे एक दुसरे के साथ, खुल रहे थे, मैं भी उसे बहुत पसंद था! बातो-बातो में पता लगा कि, उसका पति उस पर हमेशा शक करता है, मारता है, खूब दारु पीता है, कर्जे में डूबा हुआ है, कहीं काम करता है लेकिन घर में एक पैसा नहीं देता, इसलिए वो अपनी लड़कियों के लिए नौकरी कर रही थी। साथ ही एक ऐसे दोस्त की तलाश थी, जिसके साथ वो खुश रह सके! जो उसे मिल चुका था!



उसके मेरे बीच की दूरियां कम हॊने लगी, हम और ज्यादा बातें करने लगे. अब आलम यह था कि, एक दुसरे से मिले बिना नहीं रहा जा रहा था! मन में एक उमंग थी, मैं भी उसकी और खिच रहा था कि, एक दिन उसने कहा कि, वो मुझे अपने हस्बैंड से मिलवाना चाहती है, वो चाहती थी कि, एक बार मैं उसके घर, उसके हस्बैंड और बच्चों से मिल लूं तो मेरे आने जाने पर फिर कभी कोई शक नहीं करेगा! मैं तैयार हो गया! और एक दिन प्लान के मुताबिक वो अपना ऑफिस ख़त्म करके, मुझसे मिली, और अब हम दोनों उसके घर की और चल दिये! उसके घर में उसके हस्बैंड और उसकी.

दोनों बेटियों से मिला, उसने ये कहकर कि, मैं उसी के ऑफिस में काम करता हूँ, और आज किसी काम से उसी और जा रहा था, तो सोचा की उसे छोड़ दूं! मैं करीब 1 घंटे बैठा, उसके हस्बैंड और बच्चो से बातें की, उन्हें मुझसे बात करके बहुत अच्छा लगा, और मुझे फिर आने को कहा।


अब वो मुझसे बहुत खुश थी, क्यूंकि मैं उसकी लड़िकयों से भी फ़ोन पर बाते (जब वो घर पर होती थी) करता था! उसका मेरे पर विशवास बढ़ता जा रहा था! उसके इस विश्वास में मुझे प्यार की सुगंध आने लगी! मैं भी उसके करीब जा था, उसके लिये मेरे अंदर रहा फीलिंग्स थी, लेकिन प्यार, मैं नहीं कर पा रहा था! और यही कारण था कि, अब हम दोनों शायद बहुत करीब आ चुके थे! फिर एक शाम हम दोनों की इतनी इच्छा हुई कि, एक दुसरे तो टच किये बैगर नहीं रहा जा रहा था कि, तो हमने अगले ही दिन मिलने का प्लान बना डाला! तय हुआ कि, कल सुबह मैं उसे दिन 9 बजे मिलूँगा, और फिर वो मेरे कमरे में मेरे साथ चलेगी और दुसरे हाफ में वो अपने ऑफिस चली जायगी।

अगले दिन बहुत तेज बारिश होने से वो मुझे करीब 10:30 पर मिली, मैं उसे अपने कमरे में ले आया, तो उसने मुझसे कहा की आज प्रॉब्लम हो गयी है! मेरे पूछने पर "क्या प्रॉब्लम" तो उसका कहना कि, उसको "मासिक धर्म" शुरू हो गए है! मेरे लिये तो जैसे KLPD (खड़े L*** पर धोखा) हो गया! लेकिन वो मेरे करीब आयी, और बोली निराश मत हो, क्यूंकि उसे मेरा साथ चाहिये था! मेरे कहने पर कि, अब क्या हॊगा? उसने कहा कि, अगर मेरी चाह है, तो वो मुझे, अपने पीछे से संतुष्ट करा सकती है!

वो भी मेरी तरह प्यासी थी! हम एक दुसरे को चूमने लगे, एक दुसरे के कपडे उतारे, उसका एकदम गोरा छर-हरा बदन देख कर मैं, जैसे पागल हो गया! मैंने उसे हर जगह चूमा! और अब वो उलटी लेट गयी, मैंने उसके पीछे तेल लगाया और पीछे से संतुष्ट करने लगा, मुझे बहुत अच्छा लग रहा था!, फिर मेरे पूछने पर कि, क्या उसे दर्द हो रहा है, उसका कहना कि, प्यार में वो इस दर्द को भी सह लेगी।

फिर धीरे धीरे हम ऐसे जुड़े जैसे मानो हम दोनों एक जिस्म और एक जान हो. हम दोनों करीब 10-15 मिनट्स तक इसी पोजीशन में लेटे रहे, इस दौरान मैं उसके स्तनों को दबाते हुए, उसके पीछे से, उसके होटो को चूमते हुए, हॊले-हॊले नीचे आनंद ले रहा था! अब उसे भी मज़ा आ रहा था! हम दोनों की ये क्रिया उसे इतनी पसंद आयी कि, हम दोनों आज भी वो दिन याद करते हैं! शायद यही उसके प्यार की दीवानगी मेरे लिये थी!

शनिवार, दिसंबर 14, 2013

प्यार की स्टोरी हिंदी में

बात 1990 की है, जब मैं कॉलेज में फर्स्ट ईयर में अपनी पढाई कर रहा था! मैंने कॉलेज में NCC भी ज्वाइन कर ली थी! अपने शरारती स्वभाव, अपनी अदाकारी और अपनी आवाज़ के जादू से मैं NCC और कॉलेज में बहुत प्रसिद्ध (फेमस) था! NCC मैं किसी भी काम को करने में हम पांच लोगो का ग्रुप सबसे आगे रहता था! और यही एक कारण था कि, हर काम में सबसे पहले मुझे ही प्राथमिकता (preference) दी जाती थी! 


एक बार हमारा एक दिन का NCC शूटिंग कैंप लगा, जिसमे हमें अपने शहर से रूड़की जाना था! हम कैडेट्स सुबह 6 बजे रूड़की के लिए रवाना हुए और शूटिंग रेंज पर 8 बजे एकत्रित हुए! हम कैडेट्स को अलग-अलग तरह की राइफल्स जिसमे लाइट मशीन गन (LMG), मीडियम मशीन गन (MMG), सेल्फ लोडिंग राइफल (SLR), पिस्टल .32 बोर और मशीन गन शूटिंग के लिए दी गयी! हमारे JCOs ने हमे अलग-अलग तरह से गन्स को चलाने की ट्रेनिंग दी! जो हर किसी को अच्छी लगी! 

लेकिन हममे से कुछ NCC कैडेट्स का तो कन्धा (Shoulder) लाइट मशीन गन चलाने से छिल गया! उनका कन्धा लाल पड़ गया था, फिर उन्हें प्राथमिक चिकित्सा (First Aid) दी गयी, और उन्हें शूटिंग रेंज से बाहर ले गये! मैंने भी उस दिन खूब फायर्स किये! मशीन गन चलाने में मुझे बहुत मजा आया! अब शाम के 4 बज चुके थे, और हम कैडेट्स को अपने शहर वापस आना था! तो, रूड़की बस स्टैंड से सभी कैडेट्स एक बस में सवार हो गये! 

सभी कैडेट्स ने बस में अपनी अपनी सीट ले ली! मैं सबसे बाद में चढ़ा, तो देखता हूँ कि पूरी बस में एक ही सीट खाली थी, जिसपर दो लोग बैठ सकते थे! लेकिन वहाँ उस पर एक लड़की बैठी हुई थी! कोई भी कैडेट उस लड़की के पास नहीं बैठा! मैं आया और उस लड़की के बाजू में बैठ गया! वो लड़की अपने बायोलॉजी के नोट्स पढ़ रही थी! मैंने भी बायोलॉजी 10th तक पढ़ी है, इसलिए आज मुझे उसकी किताब में देखकर पढना अच्छा लगा रहा था! मुझे उसकी लिखावट (Hand Writing) बहुत अच्छी लगी! और अब हम दोनों उसके नोट्स पढ़ रहे थे! 

आजू बाजू क्या चल रहा था, मुझे कुछ नहीं पता! सारे कैडेट्स मेरी मजाक बना रहे थे (जो मुझे बाद में मेरे दोस्तों ने बताया). कंडक्टर आया और उसने टिकट के लिये कहा लेकिन मैं उस लड़की के नोट्स में इतना मशगूल था कि, मुझे कुछ पाता ही नहीं चला! फिर उस लड़की ने मेरे कंधे पर हाथ रखकर कंडक्टर की और इशारा करके टिकट लेने को कहा! 

मैंने अभी तक उस लड़की का चेहरा नहीं देखा था, उसके कंधे पर हाथ रखते हि, मेरी नज़रे उसकी नज़रों से टकराई, मैंने सॉरी कह कर इज़हार किया और फिर बस का टिकट कटवा लिया! अब मैंने उस लड़की से पुछा की वो क्या करती है? उसने बताया कि, वो मेरठ यूनिवर्सिटी में बायोलॉजी की स्टूडेंट है! फिर हम दोनों कुछ समय तक बात करते रहे! वो लड़की देखने में सुन्दर नहीं थी लेकिन अच्छी थी! मेरा शहर आने वाला था! और अब मेरा उससे विदाई लेने का समय भी नजदीक आ रहा था! मैंने उसे एक कागज पर अपना पता (Home Address) दिया, जवाब में उसने भी मुझे अपने मेरठ गर्ल्स हॉस्टल का पता दे दिया! 

हम लोगो का कुछ समय तक पत्राचार चलता रहा! लेकिन कुछ समय के बाद वो भी बंद हो गया, और मेरी अपनी ज़िन्दगी की किताब में एक और अध्याय जुड़ गया!

गुरुवार, अक्तूबर 10, 2013

Pyar Ki Kahaniya

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कभी-कभी ज़िंदगी में कुछ चीजे अपने-आप हो जाती हैं, लेकिन जब आपको उसका सही मायनो में पता लगता है, और आप उसे उसी तरीके से इस्तेमाल करते हैं. तो, वो आप की एक अदा या एक स्टाइल या एक तरीका बन जाता है। जिसमे आपको एक महारत हासिल रहती है!


Pyar Ki Kahani in Hindi

बात उस समय की है, जब मैं कॉलेज में था! उस समय हमारी कॉलोनी का एक लड़का, जो मुझसे बड़ा था, लेकिन मेरा दोस्त भी था! उसे लडकिया देखना, उन्हें अपनी घटिया हरकतों से इम्प्रेस करना, शायद अच्छा लगता था! जब कहीं किसी, सुन्दर युवती या सुन्दर लड़की को देख ले तो, उसकी कोई न कोई हरकत शुरू हो जाती थी! इसलिए शायद उससे कोई लड़की नहीं पटी, और बेचारा आज, शादीशुदा है और २ बच्चो का बाप भी है।

एक बार उसने मुझसे पुछा, यह बात 1990 की है, अगर मुझे साइकिल दे दी जाये तो, क्या मैं किसी लड़की को पटा सकता हूँ? मैंने बड़ी ही सहजता से जवाब दिया कि, इस काम के लिये मुझे, साइकिल की कोई ज़रूरत नहीं है! मैं लड़की पैदल चलते-चलते पटा सकता हूँ! उसे बड़ा ही आश्चर्य हुआ, और बोला वो कैसे? मैंने जवाब दिया वो, मुझपर छोड़ दो!

एक दिन की बात है कि, हम दोनों कॉलेज जा थे, की मैंने एक बहुत ही ख़ूबसूरत लड़की को, जो हमारे ही कॉलेज में पढ़ती थी, और शायद कॉलेज के कई लड़के उसके पीछे थे, शायद एक नज़र में मुझको भी पसंद आ गयी! वो लड़की कॉलेज में होम साइंस सेक्शन में थी! उसने मुझे देखा, और मैंने उसे, शायद हम भी उसे कुछ अच्छे लगे. लेकिन कोई बात नहीं हो पाई!

अब जब हुम्रारा पीरियड ख़त्म होता, और एक 45 मिनट्स का ब्रेक मिलता, वही उसके साथ भी था! मैं अपना एक साइड में, अपने दोस्तो के साथ, बैठ जाता और ठंडी की धूप सेकते! वो भी बाहर आ जाती, और अपनी दोस्तों के साथ खड़ी हो कर हम दोनों आँख मिचोली करते!

एक दिन मुझे उसके डिपार्टमेंट में किसी काम से जाना पड़ा, वैसे उस टाइम, मैं कॉलेज में बहुत फेमस था! वो, भी वहीं खड़ी थी, और इत्तेफाकन अकेली थी! मैं अपना काम करके जैसे ही वापस आ रहा था कि, उसने मुझे हेल्लो' कहा, जब मैंने ध्यान नहीं दिया, तो उसने थोडा जोर से फिर हेल्लो कहा! अब मैंने, उसकी और देखा, और उसे हेल्लो कहा! मेरा हेल्लो कहना था कि वो, सीढियों में मेरे करीब आ कर बोली कि, 'आप मुझे अच्छे लगते हो'! मेरी तो जैसे जान सी निकल गयी! मैं उसे देखता ही रह गया! उसने मेरा हाथ पकड़ा और पुछा 'सब ठीक है ना?', मैंने कहा हाँ! और उसके बाद वो मेरी एक अच्छी दोस्त बन गयी!

अब हमारा, एक दुसरे को देखना ज्यादा शुरू हो गया, और हम दोनों कॉलेज में बात भी करने लगे तो, इससे कुछ लड़के, जो उसके दीवाने थे, मुझसे जलने लगे! ये सब बातें, जब मेरे उस दोस्त को पता लगी, तो वो तो जैसे, मेरा शागिर्द हो गया! और मान गया कि, मैंने जो कहा था, वो ठीक था!


कुछ समय बाद पता चला कि, उस लड़की की तबियत बहुत खराब हुई, और वो bed ridden हो गयी! इसके कुछ और समय बाद वो इस दुनिया से रुक्सत कर गयी! उस लड़की के वो शब्द, आज भी मुझे यद् हैं! वो वाकई बहुत सुन्दर, सहनशील, घरेलु और इमानदार लड़की थी! शायद उसका मेरा उतना ही साथ था!